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मेरी गाय!
छोटी-सी आई थी तुम एकदम दुबली-पतली सी, डरी-सहमी हुई। देखकर कोई कह ही नहीं सकता था की वो तुम हो मम्मी बोलती थी जैसे कोई बकरी का ...

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कितना अच्छा है न... ये शांत वातावरण न गाड़ियों की पीं-पीं न वो सरदर्द बढ़ा देने वाले हॉर्न आज लोगों की चहल-पहल भी नहीं एकदम शा...
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छोटी-सी आई थी तुम एकदम दुबली-पतली सी, डरी-सहमी हुई। देखकर कोई कह ही नहीं सकता था की वो तुम हो मम्मी बोलती थी जैसे कोई बकरी का ...
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Whispering in the years of time, Sometimes here, sometimes there; Nor Rosy, nor purple but Vigilant lime, Casting it's taste...
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