Thursday, November 12, 2020

मेरी गाय!


छोटी-सी आई थी तुम

एकदम दुबली-पतली सी, 

डरी-सहमी हुई। 

देखकर कोई कह ही नहीं सकता था की वो तुम हो

मम्मी बोलती थी जैसे कोई बकरी का बच्चा हो

गाय तो बिल्कुल भी नहीं लगती थी तुम। 

मुझे भी कुछ ख़ास पसंद नहीं थी तुम

खा़सकर तुम्हारा रंग......काला-सा। 

धीरे-धीरे तुमने घर में सबको अपना 

दीवाना बना लिया। 

विशेषकर मम्मी को। 

पापा तो थे ही तुम्हारे मुरीद। 

वो मम्मी का तुम्हें दुलारना, 

वो तुम्हारे माथे को हाथों से सेहलना। 

वो बार-बार तुम्हारे खाने के बारे में पूछना

मुझे बहुत बुरा लगता था। 

मानो तुमने बंटवारा कर लिया हो

मुझे मिलने वाले प्रेम और स्नेह का! 

सबसे छोटी थी न मैं.... तुमसे पहले।

पहले मैं थी, फ़िर तुम थी।  

और अब तुम ही तुम हो।। 

और देखो तुम मुझसे भी 

कितनी बड़ी हो गयी।

प्रेम और करुणा आ ही जाता है 

जीव में स्वत: 

उचित समय आने पर। 

परिपक्वता और ममत्व 

जन्म ले ही लेते हैं। 

अब तुम न चिढ़ाती हो मुझे, 

न मारती हो। 

आजकल तुम्हारा मुझे देखकर 

खुश हो जाना। 

अपना माथा हिलाना, 

पास जाने पर प्यार से चाटने लगना। 

यकीन ही नहीं होता, 

तुम ख़ुद नन्ही-सी थी

अब नन्ही-सी जान तुम्हारे अंदर। 

कितना सुंदर होता है ये भाव

जीव की संरचना। 

जैसे हर ओर प्रेम ही प्रेम हो। 

और ये सब मैंनें तुमसे सीखा। 

तुम पशु नहीं, प्रेम हो। 

Sunday, May 10, 2020

बोलो प्रिये!


         लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्ष-सी मेरी मोहब्बत,
           तानाशाही में हिंदुत्व और इस्लाम-सी
                        तुम्हारी बेरूख़ी।
       बोलो कैसे हो प्रेम-रूपी देश का निर्माण प्रिये?
          तुम्हें हासिल सवा सौ करोड़ का जनमत,
       मुझे सिर्फ संविधान का एकमात्र सहारा प्रिये।
           कैसे मुमकिन हो मेरे प्रेम की जीत प्रिये?

अर्जुन अथवा कर्ण?


अर्जुन ज्यादा सामर्थ्यवान था या कर्ण? यह उत्तर देने से पूर्व हमें सर्वप्रथम सामर्थ्य की परिभाषा स्पष्ट कर लेनी चाहिए।

सामर्थ्य क्या है? यदि ताप सामर्थ्य है तो सूर्य सबसे ज्यादा सामर्थ्यवान, यदि शीतलता सामर्थ्य है तो जल प्रपात सबसे ज्यादा सामर्थ्यवान, यदि बल सामर्थ्य है तो सिंह एवम् अन्य बलशाली पशु सबसे ज्यादा सामर्थ्यवान। यदि मृत्यु देना सामर्थ्य है तो विश्व में व्याप्त महामारी सबसे ज्यादा सामर्थ्यवान। तो क्या इस कथन को सही मान ले? नहीं।

सामर्थ्य की परिभाषा यदि मानवता के दृष्टिकोण से देखें तो मानव का सर्वोच्च सामर्थ्य तो उसका विवेक है और धर्म एवं अधर्म के मध्य चुनाव करने का। बल, बुद्धि, विद्या, वीरता एवम् अन्य गुण तो प्रयास और अभ्यास से कोई भी प्राप्त कर सकता है। और जब आपका सामर्थ्य आपके विवेक का ही हरण कर ले तो वह सामर्थ्य अनुपयोगी एवम् क्षीण हो जाता है। 

कर्ण का सामर्थ्य धर्म के लिए था ही नहीं कभी। उनका सारा जीवन मात्र सम्मान की और अर्जुन की बराबरी करने की अपेक्षा में बीता। और कुछ इसी प्रकार का सामर्थ्य कौरवों के दल में शामिल अन्य वीरों का भी था। अधर्म में धर्म का अनुशरण करते हुए अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन करना।
 
सबसे बड़ा सामर्थ्य मनुष्य का विवेक होता है, उसका धैर्य होता है एवम् उसका उचित रुप से, उचित दिशा में किया गया संघर्ष होता है.... जिसमें अर्जुन निर्विवाद रूप से श्रेष्ठ थे।

Tuesday, May 5, 2020

Freedom


Whispering in the years of time,
Sometimes here, sometimes there;
Nor Rosy, nor purple but
Vigilant lime,
Casting it's taste everywhere.

Those have tasted can
never explain,
For the needy only knows;
It's not in vain
Sacrificing each drop of blood for
"Dream of Freedom"
and it's worthiness to gain.

Millions died, Billions are dying,
Those understanding it's value;
Still lying!
Come on people, go own it!
How can you be only blaming
and crying......!.

Wednesday, April 29, 2020

And the best still lags behind

Sometimes the best thing or the best solution to something doesn't workout for people. It is because best things are more workable with the best people. 

You can't expect from an illiterate person to figure out drawbacks of  political theories of Socrates, Machiavelli, Bodin etc, who can't even understand the words 'democracy', 'state', 'government'  and 'frredom'....!! (However exceptions may exist)

The same thing applies to Indian Constitution. It is one of the best Constitution in the world. Written and discussed by the most learned, knowledgeable and experienced persons we got in that era. Still, we lag behind with so many issues on world forum. That's perhaps because we didn't required the best. 
Our literacy rate at that time was so low. Today also it's around 74.04%. That's just the literacy rate. We don't have any idea, if these literate people have enough knowledge about government, it's functioning, Constitutional duties, etc.

Perhaps this is the reason why people vote in the name of Caste, Religion, Personal Profit etc. They hardly understand what they are doing by promoting corrupt politicians and leaders.
That's how the best thing is 
converted into a degraded form...!

मेरी गाय!

छोटी-सी आई थी तुम एकदम दुबली-पतली सी,  डरी-सहमी हुई।  देखकर कोई कह ही नहीं सकता था की वो तुम हो मम्मी बोलती थी जैसे कोई बकरी का ...