लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्ष-सी मेरी मोहब्बत,
तानाशाही में हिंदुत्व और इस्लाम-सी
तुम्हारी बेरूख़ी।
बोलो कैसे हो प्रेम-रूपी देश का निर्माण प्रिये?
तुम्हें हासिल सवा सौ करोड़ का जनमत,
मुझे सिर्फ संविधान का एकमात्र सहारा प्रिये।
कैसे मुमकिन हो मेरे प्रेम की जीत प्रिये?
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मेरी गाय!
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Whispering in the years of time, Sometimes here, sometimes there; Nor Rosy, nor purple but Vigilant lime, Casting it's taste...
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