Sunday, May 10, 2020

बोलो प्रिये!


         लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्ष-सी मेरी मोहब्बत,
           तानाशाही में हिंदुत्व और इस्लाम-सी
                        तुम्हारी बेरूख़ी।
       बोलो कैसे हो प्रेम-रूपी देश का निर्माण प्रिये?
          तुम्हें हासिल सवा सौ करोड़ का जनमत,
       मुझे सिर्फ संविधान का एकमात्र सहारा प्रिये।
           कैसे मुमकिन हो मेरे प्रेम की जीत प्रिये?

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