कितना आसान होता है सपने बुनना। बड़े-बड़े, सुनहरे-से सपने। बेहतरीन से बेहतरीन। सच में मुझसे बेहतर सपने कोई बुन ही नहीं सकता। बचपन से बुनती आ रही हूं। बुनकर हूं मैं, एक उम्दा। तुम भी। सभी हैं, अपने-अपने दायरों में। लेकिन उस बुने हुए सपने का स्वेटर कौन पहन पाता है?
बुनना बड़ी चीज़ है, लेकिन उस सपने को हूबहू उसी अंदाज़ में ओढ़ना बड़ी बात। और जो ये बड़ी बात कर दिखाता है, वो बड़ा बन जाता है। लेकिन कभी-कभी हमारे हाथों से वो बुना जा रहा सपनों का स्वेटर पूरा नहीं हो पाता। अधूरा रह जाता है। और हम दूसरे कामों में लग जाते है। बहुत आम बात है। लेकिन एक अच्छा बुनकर वही होता है जो उसे बुनकर पूरा करे, समय मिलने पर। हो सकती है फिटिंग सही न आए अब, लेकिन किसी और के तो काम आएगा, आपका बुना हुआ स्वेटर। अधूरा छोड़कर क्यों उस स्वेटर को, उस सपने को बरबाद किया जाए।
चलो उस सपनें को, उस अधूरे स्वेटर को बुनकर पूरा किया जाए।
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